Ashok Chakradhar

चेतन जड़

प्यास कुछ और बढ़ीऔर बढ़ी ।बेल कुछ और चढ़ीऔर चढ़ी ।प्यास बढ़ती ही गई,बेल चढ़ती ही गई ।कहाँ तक जाओगी बेलरानीपानी ऊपर कहाँ है ?जड़ से आवाज़ आई-यहाँ है, यहाँ है ।

चुटपुटकुले

हंसी के बुलबुले हैं।जीवन के सब रहस्यइनसे ही तो खुले हैं,बड़े चुलबुले हैं,ये चुटपुटकुले हैं।माना किकम उम्र होतेहंसी के बुलबुले हैं,पर जीवन के सब रहस्यइनसे ही तो खुले हैं,ये चुटपुटकुले हैं।ठहाकों के स्त्रोतकुछ यहां कुछ वहां के,कुछ खुद ही छोड़ दिएअपने आप हांके।चुलबुले लतीफ़ेमेरी तुकों में तुले हैं,मुस्काते दांतों कीधवलता में धुले हैं,ये कविता केपुट…

अँधेरे उस पेड़ के सहारे

पेड़ की छाल के अन्दरऊपर की ओरकोमल तव्चा परथरथराते हुए रेंगाऔर जा पहुँचा वहाँजहाँ एक शाख निकली थी ।काँप गई पत्तियाँकाँप गई टहनीकाँप गया पूरा पेड़ ।देह नृत्यशालाआलाप-जोड़-झाला ।

भूख लगी है

देखता रहा उसकोखाते हुए लगती है कैसी,देखती रही मुझकोखाते हुए लगता हूँ कैसा ।नख़रेदार पानी पियानख़रेदार सिगरेटढाई घंटे बैठ वहाँबाहर निकल आए ।

तू गर दरिन्दा है तो ये मसान तेरा है,

तबाहियां तो किसी और की तलाश में थींकहां पता था उन्हें ये मकान तेरा है।छलकने मत दे अभी अपने सब्र का प्याला,ये सब्र ही तो असल इम्तेहान तेरा है।भुला दे अब तो भुला दे कि भूल किसकी थीन भूल प्यारे कि हिन्दोस्तान तेरा है।न बोलना है तो मत बोल ये तेरी मरज़ीहै, चुप्पियों में मुकम्मिल…

एक घुटे हुए नेता ने

भावुक तकरीर दी,भीड़ भावनाओं से चीर दी।फिर मानव कल्याण के लिएदिल खोल दान के लिएअपनी टोपी घुमवाई,पर अफ़सोसकि खाली लौट आई।टोपी को देखकरनेता जी बोले-अपमान जो होना है सो हो ले।पर धन्यवाद,आपकी इस प्रतिक्रिया सेप्रसन्नता छा गई,कम से कमटोपी तो वापस आ गई।

एक अंकुर फूटा

एक किल्ला फूटाफुनगी पर ।अंकुर बढ़ाजवान हुआ,किल्ला पत्ता बनासूख गया ।गिराउस अंकुर कीजवानी की गोद मेंगिरने का ग़म गिराबढ़ने के मोद में ।

बीवी की नज़र थी

क्यों जी,कौन है ये जैनी?सहज उत्तर था मियाँ का-जैनी,जैनी नाम हैएक कुतिया का।तुम चाहती थीं नएक डौगी हो घर में,इसलिए दोस्तों सेपूछता रहता था अक्सर मैं।पिछले दिनों एक दोस्त नेजैनी के बारे में बताया था।पत्नी बोली-अच्छा!तो उस जैनी नाम की कुतिया काआज दिन मेंपाँच बार फ़ोन आया था।