मेरे दीपक
मधुर मधुर मेरे दीपक जल!युग युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल;प्रियतम का पथ आलोकित कर!सौरभ फैला विपुल धूप बन;मृदुल मोम-सा घुल रे मृदु तन;दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,तेरे जीवन का अणु गल-गल!पुलक-पुलक मेरे दीपक जल!सारे शीतल कोमल नूतन,माँग रहे तुझको ज्वाला-कण;विश्वशलभ सिर धुन कहता ‘मैंहाय न जल पाया तुझमें मिल’!सिहर-सिहर मेरे दीपक जल!जलते नभ में देख असंख्यक;स्नेहहीन…