मेरे मुल्क की दीवारें
मूल रचनाकार: फ्रीयाद इब्राहीम
हिंदी अनुवाद रजनीश मंगा द्वारा
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इन फ़र्ज़ी नेताओं ने सिवाय झूठ के हमें कुछ नहीं दिया
गुड मॉर्निंग
मेरे मुल्क की दीवारें (फ़्रीयाद इब्राहीम)
मेरा नाम दीवार है
मैं एक आम सी गली के बगल में खड़ी हूँ
ऊब जाने की हद तक मैं लंबी हूँ
और
इतनी ज्यादा ऊंची हूँ जितना मेरा क्रोध है
सारे के सारे नारे मुझ पर टाँगे जाते हैं
सारे के सारे पोस्टर मुझ पर चस्पाँ होते हैं
सौ नारों में से एक भी नारा
खुशी नहीं दे पाता मुझको
कल की बात बताती हूँ
ऊपर से लेकर नीचे तक
उन लोगों ने मुझ पर लिक्खा कागज सा चिपकाया था.
जब मैंने इसको पढ़ा तो पढ़ कर
मैं शर्म से पानी पानी हो गई थी
कोई ऐसा सोच सकता था
कि मैं अपने ही मुल्क की ऐसी दीवार बन जाऊँगी
जो सब बातों से बेखबर हो जायेगी
और उसके ऊपर बड़े बड़े सफ़ेद झूठ
पोत दिए जायेंगे? !
This is a translation of the poem
Walls Of My Homeland
by
Freeyad Ibrahim

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