न ही तारों के पार
खुशियों का अंबार लगा है
निकट तुम्हारे द्वार
दूर देश क्यों जाइए
अगली गली में पाइए
जैसे बादल और नमीं में
इन्द्रधनुष छवि पाइए
खुशी है मन की शांति में
हृदयों के कोमल भाव में
या चेहरे की मुस्कान में….
घर में या फिर मित्रों में
खुशी कहीं भी मिल सकती है
यहाँ वहाँ हर स्थान में….
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