Hindi Translation by Rajnish Manga
जीवन के स्वर्ण काल में
मूल रचना: सविता त्यागी
हिंदी अनुवाद रजनीश मंगा
खेल खेल में ही कट जाता जीवन बेपरवाह!
पर चिंता करें तो क्यों भला!
केवल अपने हाथ की सफ़ाई से
मैं अपने सुरक्षा-कवच को त्याग कर कितना ऊँचा उड़ सकती हूँ.
ये पवन झकोरे आ कर मुझको
जहाँ भी चाहे ले जायें.
इन कंदराओं और घाटियों के उस ओर
मेरी कल्पना का लोक बसता है
जो कहीं अधिक मनोरम है उन
मानव निर्मित लक्ष्यों से व सारी आपाधापी से.
यह एक बढ़िया चुनाव है कि नहीं?
जी बिलकुल! पर यह आज़ादी हासिल होती है
केवल अवकाश प्राप्त कर लेने पर ही!
(अवकाश प्राप्त करना = नौकरी या काम से
रिटायर हो जाना या सेवानिवृत्त होना)
NOTE:
Rajnish Manga is grateful to our PH friend Ms Savita Tyagi for having granted permission to translate this poem into Hindi.
This is a translation of the poem
In Golden Years
by
Savita Tyagi

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