Hindi Translation by Rajnish Manga
फुरसत
मूल कविता डब्ल्यू.एच.डेविस द्वारा
हिंदी रूपांतरण रजनीश मंगा द्वारा
जीवन क्या है जीवन जिसमे रहे काम और केवल काम.
हमें भान भी हो न सके यह धरती है कितनी अभिराम.
किसी वृक्ष की छाया में बैठें, इतनी फुरसत मिल न सकी,
भेड़ों गायों के रेवड़ को भी, तकने की हसरत खिल न सकीं.
वनप्रांतर में आये गये पर, वन की सुंदरता न लिपा सके,
चालाक गिलहरी जहां तृणों में, अपने मेवों को छिपा सके.
वक़्त कहाँ है देख सकें, जो दरिया की चमकती धारा है,
या हुआ अलौकिक निशा समय नभ में इक-इक तारा है.
सुन्दर बाला के नयनों के सब बाण अकारथ चले गये,
हम उसके पैरों की झांझर, न नृत्य कला से छले गये.
इतनी फुरसत कहां कि देखें उसके मुख की आकृतियां,
फूटेगी जिनसे मुसकाने, नयनों से झरेंगी फुलझड़ियाँ.
निर्धन है वह जीवन जिसमे रहे काम और केवल काम,
हमें भान भी हो न सके यह धरती है कितनी अभिराम.
This is a translation of the poem
Leisure
by
William Henry Davies

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